लेखनी प्रतियोगिता -21-Jan-2022 (कहानी:- मिट्टी का मोल)
रचनाकार - स्वाति शर्मा "भूमिका"
विषय - मिट्टी का मोल (लघुकथा)
"मैंने कहा ना आप यहां विद्यालय में मत आया करो।" राजू एक आदमी पर चिल्ला रहा था, इतने में उसे विनोद गुरुजी ने देखा और अपने पास बुलाकर उससे चिल्लाने का कारण पूछा।
विनोद गुरुजी विद्यालय में नए आए थे। उन्होंने कई बार राजू को उस आदमी पर चिल्लाते हुए देखा था। उन्हें चिंता हुई कि कहीं राजू किसी संकट में तो नहीं! परन्तु, राजू उनकी बात को टाल कर वहां से चला गया। गुरुजी ने उस आदमी को ढूंढने कि कोशिश की। परंतु, वह भी जा चुका था।
तभी सामने से सोनू आया और बोला- "गुरुजी आप व्यर्थ में चिंता कर रहे हैं, यह तो राजू का हमेशा का नाटक है।" गुरुजी ने पूछा- "क्या तुम इस बारे में कुछ जानते हो?"
सोनू ने उत्तर दिया- "जी गुरुजी, वह व्यक्ति कोई और नहीं अपितु राजू के पिताजी हैं।" गुरुजी ने सोनू से राजू का उसके पिता पर चिल्लाने का कारण जानना चाहा तो सोनू बोला- "उसके पिताजी एक कुम्हार हैं। वे राजू के उज्ज्वल भविष्य एवं अच्छी परवरिश के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। परन्तु, राजू उनका सम्मान नहीं करता।" गुरुजी ने जब सोनू से इसके पीछे का कारण पूछा तो सोनू ने बताया कि विद्यालय के कुछ बच्चे उसके पिताजी के काम को लेकर उसे चिढ़ाते हैं और अपने साथ खेलने भी नहीं देते। ये सब उसे बहुत बुरा लगता है। इसीलिए वह पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा है।
सोनू से बात करने के दो दिन बाद गुरुजी राजू को लेकर एक दुकान में गए। दुकान काफ़ी सुन्दर और महंगी लग रही थी। गुरुजी ने एक-एक कर सभी सामानों के दाम पूछे। सभी वस्तुएं बेहद महंगी थीं। गुरुजी ने कहा- " राजू यदि तुम्हें कोई खिलौना या वस्तु पसंद आ रही है, तो तुम उसे खरीद सकते हो।" राजू बोला- "गुरुजी यहां तो सभी कुछ बहुत महंगा है और मैं इतने पैसे लेकर नहीं आया। अतः आप ही ले लीजिए मैं फिर कभी खरीद लूंगा।"
गुरुजी ने पूछा- "क्या तुम जानते हो कि ये सभी वस्तुएं एवं खिलौने कौनसी धातु से बने हैं?" "इतनी महंगी वस्तुएं हैं, तो किसी महंगी धातु से ही बनी होंगी, मिट्टी से थोड़ी ना बनी होंगी।" राजू ने मुंह बिचकाकर उत्तर दिया। गुरुजी मुस्कुराए और राजू के सर पर हाथ रखकर बोले- "ये सभी वस्तुएं मिट्टी से ही बनी हैं।"
राजू को गुरुजी की बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था, वह सोच रहा था मिट्टी का तो कोई मोल ही नहीं होता तो यह वस्तुएं मिट्टी से कैसे बन सकती हैं? सोचते-सोचते वह सर खुजलाने लगा।
गुरुजी उसके मन की बात समझ गए अतः उसे संतुष्ट करने हेतु पास ही के एक कारखाने में लेकर गए और बोले- "यह देखो राजू यहां मिट्टी की विभिन्न वस्तुएं एवम् खिलौने बनाए जाते हैं।" देखकर राजू की आंखें फटी रह गईं। वह आंखें मसलते हुए सोचने लगा कि कहीं वह कोई सपना तो नहीं देख रहा । मिट्टी की वस्तुएं इतनी महंगी भी हो सकती हैं।
तभी पीछे से किसी ने उसे पुकारा- "राजू!" वह कोई और नहीं अपितु उसके पिता थे। राजू उनको एवं उनकी वेष-भूषा देखकर बोला- "आप यहां काम करते हैं?" पिताजी ने हां में सर हिलाया।
राजू झट से अपने पिता के गले लग गया और फूट-फूट कर रोने लगा, बोला- "मुझे क्षमा कर दीजिए पिताजी। मुझे नहीं पता था कि आप मुझे अच्छा और सुखी भविष्य देने हेतू इतना कष्ट सहते हैं, इतनी मेहनत करते हैं। आज मैं, आपका और आपकी मिट्टी का मोल भली प्रकार से समझ गया हूं।"
पिताजी ने उसके आंसू पोछे एवं उसे गले से लगा लिया। गुरुजी को हृदय से धन्यवाद दिया एवं उनको और राजू को विदा किया। राजू ने भी पिताजी एवं गुरुजी से खूब मन लगाकर पढ़ाई करने का वायदा किया।
आज गुरुजी की समझदारी से दोनों का जीवन निखर गया था। एक ओर राजू को बेहतर सीख मिली और दूसरी ओर पिताजी को उनका राजू। अतः गुरुजी ने दोनों के ही जीवन को सुलझा एवं बचा लिया।
Shrishti pandey
22-Jan-2022 03:08 PM
Very nice
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Swati Sharma
23-Jan-2022 12:11 AM
Thank you
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Punam verma
22-Jan-2022 08:23 AM
Very nice , वैसे भी भारत में गुरु का पद भगवन से भी ऊंचा होता है
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Swati Sharma
23-Jan-2022 12:11 AM
जी बिलकुल। शुक्रिया
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Abhinav ji
22-Jan-2022 12:08 AM
बहुत ही बढ़िया
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Swati Sharma
23-Jan-2022 12:11 AM
धन्यवाद
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